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माचिस संग्रहण यात्रा पार्ट 7
मेरे को लिखने / टाईप करने में सहजता है। विचारों की माला भी लगभग पिरो ही लेता हूँ, पर आलस पर नियंतत्र नहीं है। पिछले साल यह ब्लॉग शुरू किया था, सोचा था कम से कम अनुशासित हो कर एक साप्ताहिक पोस्ट तो जरूर शेयर करूँगा, पर एक साल निकलने को आया पर पोस्ट को मैंं रोज टरकाता रहा।
बात माचिस के रेट की
यहां प्रदर्शित सभी माचिस मेरे संग्रह से हैं। शुरू में जो माचिस लेबल थे, उन पर कोई पैसे नहीं छपे होते थे। एक आना पूर्व में ब्रिटिश भारत और पाकिस्तान में प्रयोग की जाने वाली मुद्रा इकाई थी। एक आना 1⁄16 रुपये के बराबर हुआ करता था। इसे चार (पुराने) पैसों या बारह पाइयों में विभाजित किया गया था (इस प्रकार एक रुपये में 192 पाइयाँ होती थीं)। जब रुपये को दशमलव और 100 (नए) पैसों में उप-विभाजित किया गया, तो एक अन्ना इसलिए 6.25 पैसे के बराबर हो गया था। (6.25 /12) * 9 = 4.6785 paise = 9 पाई लगभग 5 पैसे
1955 में नया पैसा शुरू किया सरकार नें, 1964 तक रहा, फिर सिर्फ पैसा रह गया, नया हटा दिया।
सन् 1950 में माचिस 5 पैसे की मिलती थी फिर सन् 1960 में 10 पैसे की हो गई, सन् 1970 में 15 पैसे की और
सन् 1980 में 25 पैसे की उसके बाद बदलाव आया 1994 में जब माचिस का रेट हुआ 50 पैसे, फिर 2008 में 1 रूपये और अब 2022 में से हो गई 2 रूपये की। माचिस के रेट देख कर अब आप इसके बनने के समय का अंदाजा लगा सकते हैं। कुछ छविचित्र सांझा कर रहा हूँ इस आशा के साथ के आपको पसन्द आयेगें।
2021 के लगभग अंत में एक खबर आई के 1 रूपये वाली माचिस बन्द हो रही है। महगाई ने रेट बढ़ा दिये है। मन ही मन में तो थोडी खुशी हुई कि सब प्रचलित माचिस हम संग्रहकों के लिये नए रूप में थोडे़ या पूर्णरूप से नये अन्दांज में मिलेगी। रेट में बदलाव के कारण । हर समय लगभग 2000 से 4000 अलग तरह की माचिस सारे भारत वर्ष में मिलती हैं। संग्रह के लिये तो यह कम मेहनत में काफी मिलने जैसा था। बाजार में काफी कोशिशें की गई कि रेट को ना बदला जाये, जैसे डिबिया छोटी कर दी, तिलियां कर कम दी गई, 25 तीली की माचिस बनने लगी, 1 रूपये में । पर ये कुछ दिन ही चला, अब मई 2022 में लगभग सारे बड़े ब्रॉण्ड 25 तीली 2 रूपये पर आ गये हैं और जो माचिस पहले से ही दो रूपये वाली थी वो भी चल रही है 40 से 50 तीली वाली।
आजकल जो एक्सचेंज हो रहा है, उस में 1 रूपये वाली माचिस पर 2 रूपयें छपा मिलता है। संग्रहक के लिये तो अच्छा ही हैं। साईज बदल गया, तीलियां कम हो गई, रेट बदल गया और बाजार में अभी पुराना माल मतलब पुराने रेट वाली माचिस भी बिक रही है कहीं पुराने रेट में कहीं नये रेट में । एक नई माचिस जुड गई संग्रह में ।
एक नई कैटेगरी बन गई है - रेट चेंज की - सब कुछ वैसा का वैसा सिर्फ एक नम्बर के ।
आप क्या सोचते हैं इस विषय में, क्या यह विषय संग्रह के लिये महत्वपूर्ण है, अपने विचार अवश्य सांझा करें।
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